लाइलाज नहीं है फोबिया

लाइलाज नहीं है फोबिया

सेहतराग टीम

फोबिया यानी किसी व्‍यक्ति के अंदर बसा असामान्‍य डर। यह डर किसी भी बात को लेकर हो सकता है। अंधेरे का फोबिया, बीमारी का फोबिया, गंदगी का फोबिया। दरअसल, यह एक प्रकार का वहम है जो हद से ज्यादा बढ़ने पर बीमारी का रूप ले सकता है।

क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर

दिल्‍ली और गाजियाबाद के जाने माने न्‍यूरोलॉजिस्‍ट डॉक्‍टर विवेक कुमार के अनुसार फोबिया किसी भी व्‍यक्ति को हो सकता है और जैसा कि पहले लिखा गया है कि किसी व्यक्ति के अंदर बसे असामान्य डर की स्थिति को फोबिया कहते है। यह बीमारी मुख्यतः दो प्रकार की होती है। पहले में किसी वस्तु से डर लगता है। उदाहरण के लिए मकड़ी, सांप या कुत्तों, सूई लेने से। इसके अलावा अपनी छाया तक से डर लगने लगता है। कई बार सीढ़ी चढने, आग या ऊंचाई से भी बेहद डर लगता है।

सामाजिक स्थिति का फोबिया

दूसरे प्रकार का फोबिया सामाजिक स्थिति का होता है। इस फोबिया से ग्रसित व्यक्ति किसी भी सार्वजनिक उपस्थिति से बचने की कोशिश करता है। भीड़ में नहीं जाता। ऐसा व्यक्ति किसी से घुलता-मिलता नहीं और न ही किसी को अपना दोस्त बना पाता है। इसके कारण रोगी की सामाजिक जिंदगी एक प्रकार से तबाह हो जाती है।

कृपया इसे पागलपन न समझें

फोबिया के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि आमतौर पर इसे पागलपन मान लिया जाता है। मगर खास बात यह है कि किसी मानसिक बीमारी के लिए पागलपन शब्द का इस्तेमाल ही गलत है। विश्व स्वास्थ्य की शब्दाबली में ऐसी कोई बीमारी नहीं है। फोबिया एक मानसिक बीमारी है जिसका इलाज संभव है।

दवा के साल काउंसिलिंग जरूरी

इसके इलाज के लिए दवाइयों के साथ-साथ काउंसिलिंग या सलाह की महत्वपूर्ण भूमिका है। सही काउंसिलिंग से बीमारी के ठीक होने की संभावना बेहद ज्यादा होती है। ध्यान देने वाली बात यह है कि हर व्यक्ति को किसी न किसी से डर लगता है और कई बार डर हमारी जिंदगी को बचाता भी है। ऊंचाई से लगने वाले डर सही है जो हमें गिरने से बचाता है। कुछ लोगों को यह अतिशयोक्तिपूर्ण लगता है मगर कुछ अध्ययन बताते हैं कि हमारे देश में सौ में से पांच लोग किसी न किसी फोबिया के शिकार होते हैं। यह बात ध्यान रखें कि फोबिया के शिकार लोग डांट-डपट से नहीं बल्कि प्यार के हकदार होते हैं।

होम्‍योपैथी की भूमिका

इस बीमारी के बारे में होम्योपैथी चिकित्सक डॉक्‍टर ए.के. अरूण के अनुसार मानसिक बीमारियों के इलाज में होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति सर्वश्रेष्ठ होती है। इसका कारण यह है कि दूसरी पद्धतियों के मुकाबले होम्योपैथी में मानसिक लक्षणों को ज्यादा प्रामाणिक रूप से एकत्र किया गया है क्योंकि यह चिकित्सा पद्धति मानसिक लक्षणों पर ही आधारित है। किसी भी बीमारी के इलाज में सबसे पहले रोगी के मानसिक लक्षण ही देखे जाते हैं। होम्योपैथी में हम सबसे पहले यह देखते हैं कि फोबिया की वजह क्या है। वजह के आधार पर एकोनाइट, प्टैटिना, नाइट्रिक एसिड, फॉस्फोरस, नक्सवोमिका, सल्फर, बेलाडोना आदि दवाइयों दी जाती हैं। मगर यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि दवाइयां किसी प्रामाणिक होम्योपैथी चिकित्सक से ही ली जाएं। वैसे आधुनिक जीवन पद्वति ने भी फोबिया को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। खासकर बच्चों में परीक्षा का फोबिया जीवन पद्वति की ही देन है। इस फोबिया के इलाज में भी होम्योपैथी बेहद कारगर है।

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।